भगवान कृष्ण का जीवन देता सीख प्रतिकूल परिस्थितियों में भी नहीं छोड़े पुरूषार्थ करना-आचार्य सुंदरसागर महाराज*

||PAYAM E RAJASTHAN NEWS|| 26-AUG-2024 || भीलवाड़ा || भगवान श्रीकृष्ण का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणादायी है। उनका श्याम वर्ण कोई पसंद नहीं करता था लेकिन फिर भी वह सबको उजाला देकर गए। श्रीकृष्ण का श्री आदर देने के साथ ज्ञान,सम्पन्नता व प्रकाशवान होने का प्रतीेक है। श्री कृष्ण का जन्म प्रतिकूल परिस्थितियों में हुआ। चारों तरफ कंस के अत्याचार बढ़ रहे थे ओर अन्याय का बोलबाला था। उन्हें जन्मते ही मां को छोड़ नंद गांव जाना पड़ा लेकिन पुरूषार्थ से जीवन को असाधारण बना लिया। वैदिक परम्परा में उन्हें अवतार ओर जैन शासन में श्लाधा पुरूष मानते है। ये विचार शहर के शास्त्रीनगर हाउसिंग बोर्ड स्थित सुपार्श्वनाथ पार्क में श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के तत्वावधान में चातुर्मासिक(वर्षायोग) वर्षायोग प्रवचन के तहत सोमवार को राष्ट्रीय संत दिगम्बर जैन आचार्य पूज्य सुंदरसागर महाराज ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण का जीवन हमे प्रेरणा देता है कि कभी भी हिम्मत नहीं हारने वाले और धैर्य रखने वाले विजय प्राप्त कर सकते है। पूज्य सन्मतिसागरजी ने भी कभी हिम्मत नहीं हारी ओर विश्वास रखा कि अच्छे दिन हमारे भी आएंगे। गुरू जमीनी स्तर पर दूर हो सकते लेकिन दिल से कभी दूर नहीं होते। आचार्यश्री ने कहा कि हारना ओर हार मान लेने में फर्क है। जीवन में कभी हार नहीं मानना है समय बदलते हुए देर नहीं लगती। धैर्य रखने वाला ही रोडपति से करोड़पति बनता है। हमेशा मन में उत्साह भाव बना रहना चाहिए। हमे विनम्र बनना है लेकिन दीन नहीं बनना है। वर्ण से नहीं भावों से गौरा बनने की जरूरत है। भगवान श्रीकृष्ण ने समय आने पर बचपन के सहपाठी सुदामा की दरिद्रता दूर कर मित्रता का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया। मित्रता वहीं है जो कोई भेद देखे बिना मित्र को प्रेम ओर वात्सल्य भाव से गले लगाए। श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के अध्यक्ष राकेश पाटनी ने बताया कि सभा में श्री बाहुबली वेलफेयर सोसायटी भीलवाड़ा का मंगलकलश पुण्यार्जक बनने पर समाज द्वारा स्वागत अभिनंदन करते हुए इस पुनीत कार्य के लिए हार्दिक अनुमोदना की गई। मीडिया प्रभारी भागचंद पाटनी ने बताया कि सोसायटी के अध्यक्ष सुरेन्द्र छाबड़ा व अन्य पदाधिकारियों ने मंगलाचरण,दीप प्रज्वलन,पूज्य आचार्य गुरूवर का पाद प्रक्षालन कर उन्हें शास्त्र भेंट व अर्ध समपर्ण किया गया। सभा में दिल्ली, बांसवाड़ा, मन्दसौर,सागवाड़ा आदि स्थानों से पधारे श्रद्धालु भी मौजूद थे। संचालन पदमचंद काला ने किया। महावीर सेवा समिति द्वारा बाहर से पधारे अतिथियों का स्वागत किया गया। वर्षायोग के नियमित कार्यक्रम श्रृंखला के तहत प्रतिदिन सुबह 6.30 बजे भगवान का अभिषेक शांतिधारा, सुबह 8.15 बजे दैनिक प्रवचन, सुबह 10 बजे आहार चर्या, दोपहर 3 बजे शास्त्र स्वाध्याय चर्चा, शाम 6.30 बजे शंका समाधान सत्र के बाद गुरू भक्ति एवं आरती का आयोजन हो रहा है। ।।।।।।।।

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