प्रेम भरा रिश्ता है भाई और बहन का -- गुरुदेव श्री सौम्यदर्शन मुनि

||PAYAM E RAJASTHAN NEWS|| 12-AUG-2023 || अजमेर || गुरुदेव श्री सौम्यदर्शन मुनि जी महारासा ने फरमाया कि जीवन में रिश्तों का होना बहुत जरूरी है ।यह आपसी विचारों ,भावनाओं एवं जीवन व्यवहार को प्रकट करने का माध्यम है ।इसीलिए कहा जाता है कि रिश्ते कितने भी खराब क्यों ना हो जाए, उन्हें तोड़ने का प्रयास मत कीजिए।क्योंकि पानी भले ही कितना भी गंदा हो, मगर अग्नि को बुझाने का तो सामर्थ्य रखता ही है।और जिस प्रकार बड़े हो जाने पर हाथों के नाखूनों को काटा जाता है, उंगलियों को नहीं ?उसी प्रकार जीवन की जो गलतफहमियां रिश्तो में आ रही है, उन्हें दूर किया जाना है ।रिश्तो की कड़ी में एक प्यारा सा रिश्ता है भाई और बहन का।भाई और बहन आपस में लड़ते भी है ,झगड़ते भी है ,मगर सबसे अधिक प्रेम भी इसी रिश्ते में नजर आता है। बहन का फर्ज होता है कि वह भाई का हित देखने का प्रयास करे और भाई अगर गलत रास्ते पर जाता हो तो वहीं उसे कुछ भी करके सही रास्ते पर लाने का प्रयास करती है ।और भाई का दायित्व है कि बहन को कुछ भी संकट या तकलीफ हो तो उस मुसीबत के समय में बहन की रक्षा का ,उसकी मदद करने का दायित्व निभाए। एक बहन ने भाई का हित देखते हुए उसको भोग के रास्ते पर जाने से रोककर, उसे योग के रास्ते पर बढ़ा दिया। और एक भाई तो अपनी बहन की रक्षा के खातिर अपना मकान बेचकर भी बहन को कर्जे से मुक्त करवाया। यह सही मायने में भाई-बहन का एक दूसरे के प्रति त्याग और हित को चाहने का भाव । मगर आजकल के इस आधुनिक युग में जहां सारे रिश्तों को ग्रहण लग रहा है। इस ग्रहण में यह भाई और बहन का पवित्र रिश्ता भी अछूता नहीं रहा है। आज बहन भी भाई के खिलाफ पिता की संपत्ति में हिस्सेदारी के लिए कोर्ट में खड़ी हो जाती है ,और यह भूल जाती है कि मेरे घर में अगर कोई काम पड़ा ,कोई भी सुख दुख की घटना हुई या मायरा आदि भरना होगा ,तो मेरा भाई ही तो वह जिम्मेदारी निभाएगा। थोड़े से स्वार्थ के चक्कर में आज व्यक्ति इतने पवित्र संबंधों को तोड़ने को भी नहीं हिचकिचाता। मगर स्वार्थ से ऊपर उठकर अगर त्याग की और कर्तव्य की भावना में इस रिश्ते को निभाए तो यह भाई बहन का रिश्ता पवित्रता की मिसाल सिद्ध हो सकेगा। सभा मे पदम चंद जैन ने बताया कि पर्वाधीराज पर्युषण 14 अगस्त से 21 अगस्त तक गुरुदेव श्री जी के सानिध्य में मनाया जाने हैं ,इसमें सभी को तप त्याग मे आगे आकर मिसाल कायम करनी है।इसकी तैयारी को लेकर श्रावक श्राविका में अपूर्व उत्साह है। धर्म सभा को पूज्य श्री विराग दर्शन जी महारासा ने भी संबोधित किया । धर्म सभा का संचालन हंसराज नाबेडा ने किया।

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