पंडित मरण के लिए पापो को छोड़ना जरूरी -- गुरुदेव श्री प्रियदर्शन मुनि

||PAYAM E RAJASTHAN NEWS|| 04-AUG-2023 || अजमेर || संघनायक गुरुदेव श्री प्रियदर्शन मुनि जी महारासा ने फरमाया कि आप चाहते हैं कि हमारे मनोरथ पूर्ण होवे और हमारे जीवन में सल्लेखना, संथारा आवे ।हम पंडित मरण को प्राप्त करे। इसके लिए पापों को छोड़ना जरूरी है। क्योंकि पापों से हल्की बनी आत्मा ही पंडित मरण कि अधिकारी होती है। प्राणतिपात पाप में आज हम श्वासोच्छवास बलप्राण की हिंसा किस प्रकार से होती है इसे समझने का प्रयास करेंगे ।शरीर में श्वास का लेना श्वास और श्वास का छोड़ना उच्छवास कहलाता है ।जीवन जीने के लिए दोनों ही जरूरी है इसकी शक्ति को कम कर देना या बाधा पहुंचाना श्वासोच्छवास बल प्राण हिंसा कहलाती है ।इसे समझे जैसे किसी जीव को जल में डुबो देना, जिससे उसके नाक व मुंह में पानी चला जाता है, श्वास नहीं ले पाने से उसकी मृत्यु हो जाती है। बहुत बार सर्दी में सिगड़ी जलाकर सो जाने पर सारे दरवाजे और खिड़कियां बंद होने की स्थिति में दम घुटने से मृत्यु तक हो जाती है ।बहुत बार मच्छरों को भगाने के लिए धुवा किया जाता है जिससे उनका दम घुटने लग जाता है ।

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