नैन बिना सब सुना -- प्रियदर्शन मुनि

||PAYAM E RAJASTHAN NEWS|| 11-JULY-2023 || अजमेर || संघनायक गुरुदेव श्री प्रियदर्शन मुनि जी महारासा ने फरमाया की जीवन को पवित्र बनाने के लिए 18 प्रकार के पापों का त्याग करना परम आवश्यक है ।इसके लिए व्यक्ति को चक्षु इंद्रिय बल प्राण की हिंसा से बचने का प्रयास करना चाहिए। चक्षु इंद्रिय कहते हैं आंख को ,आंख शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है सारा शरीर सही हो मगर आंखें नहीं हो तो सब कुछ मिल जाना भी इतना महत्वपूर्ण नहीं होता है, अतः हम विचार करें कि कहीं हम अपने आपको हानि तो नहीं पहुंचा रहे हैं। क्योंकि ज्यादा टीवी और मोबाइल देखना भी आंखों को हानि पहुंचाता है। वैज्ञानिकों ने एक प्रयोग किया टीवी के बॉक्स पर एक तोते को कुछ दिनों के लिए रखा गया तो कुछ ही दिनों में तोते की आंखों पर असर आने लगा और कुछ दिनों बाद तो वह अंधत्व की ओर चला गया। बड़े पर्दे पर दृश्य देखने की बजाए भी मोबाइल की स्क्रीन छोटी होने से इस पर देखे गए दृश्य से आंखों पर बहुत गहरा असर पड़ता है ।पुराने जमाने के लोग जिन्होंने ज्यादा टीवी आदि नहीं देखे उनकी आंखों की रोशनी आज भी आपको पूरी मिल जाएगी ।मगर आज 10=12 साल की उम्र के छोटे बच्चों को भी चश्मे की जरूरत पड़ने लग गई है। पुराने जमाने में संयुक्त परिवार व्यवस्थाएं थी, बच्चों को संभालने खिलाने और मनोरंजन आदि के लिए दादा ,दादी, चाचा, चाची ,बुआ आदि थे। मगर वर्तमान युग में एकल परिवार व्यवस्था में मां को जब घर का काम करना हो तो बच्चों को किसको संभलाए तो वह इन्हें मोबाइल पकड़ा देती है ,पहले आदत आपने डाली, जब बच्चों को मोबाइल की गहरी लत लग जाती है तो वही मां बच्चों की शिकायत करती है कि यह बच्चा मोबाइल नहीं छोड़ता है, बच्चों की तो क्या बात की जाए, आज तो माता-पिता या दादा दादी कहलाने वाले 80=85 वर्ष के बुजुर्ग आदि भी मोबाइल नहीं छोड़ना चाहते । चाहे झाड़ू लगाने वाली कामवाली हो ,खेतीहर किसान या मजदूर मोबाइल के नशे में आज सब को अपनी गिरफ्त में ले रखा है। लेकिन 10 = 12 घंटे मोबाइल लैपटॉप पर लगातार वर्क करने वालों को आजकल सर्वाइकल पेन ,गले में दर्द ,आंखों में पानी आना, चक्कर आना , आदि बीमारियां हो रही है ।अपने ही बच्चों की आंखों का नुकसान ना हो ऐसा प्रयास करें। इसी के साथ हमारे द्वारा दूसरों को देखने की शक्ति को भी हानि ना हो, ऐसा प्रयास रहे। अगर ऐसा प्रयास और पुरुषार्थ रहा तो दुर्लभ मनुष्य भव पवित्रता को प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर हो सकेगा। आज की धर्मसभा में आदित्य चौधरी ने छोटी उम्र में नो उपवास की तपस्या के प्रत्याखान गुरुदेव के मुखारविंद से ग्रहण किए ।उनके सम्मान में उनके पिताजी पीयूष चौधरी, चाचा जी पुनीत चौधरी एवं कमल कुमार कावड़िया ने तेले तप की तपस्या का संकल्प किया ।उपस्थित श्रावक श्राविकाओं ने तप की अनुमोदना की धर्म सभा का संचालन बलवीर पीपाड़ा ने किया ।

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