वीतराग वाणी का महत्त्व -- प्रियदर्शन मुनि

||PAYAM E RAJASTHAN NEWS|| 04-JULY-2023 || अजमेर || ओजस्वी वक्ता संवर प्रेरक संघ नायक श्री प्रियदर्शन मुनि जी महारासा ने फरमाया कि हम बड़े भाग्यशाली है जो हमें वीतराग भगवान की वाणी को सुनने का मौका मिल रहा है भगवान महावीर ने साढ़े बारह वर्ष की कठोर साधना के पश्चात यह वाणी फरमाई। भगवान की वाणी के बारे में कहा जाता है कि अगर पूर्ण श्रद्धा के साथ इसका एकवचन भी सुन लिया जाए तो भी जीव को नीच गति में नहीं जाना पड़ता है क्योंकि एक अंक फेल होने वाले बालक को पास करा देता है एक लॉटरी का टिकट रोडपति को करोड़पति बना देता है, एक वोट सत्ता परिवर्तित कर सकता है अतः भगवान की वाणी का एकवचन भी कल्याण कर सकता हैभगवान की वाणी केवल फोथिया ज्ञान ही नहीं सिखाती बल्कि यह तो जीवन जीने की कला भी सिखाती है ।इसका बहुत बड़ा महत्व है हम तो केवल इसको आप तक पहुंचाने में माध्यम है . जैसे मोरी कुए के पानी को पूरे खेत में पहुंचाने का कार्य करती है वैसे ही हम मोरी के समान कार्य करने वाले हैं ,बस जरूरत है कि आप भगवान की वाणी को पूरी श्रद्धा के साथ सुने।तीन पुतलियां है एक पत्थर की, दूसरी लकड़ी की और तीसरी रूई की, इन तीनों को दूध से भरे पात्र में डाला जाए तो कौन से पुतली ज्यादा दूध सोकेगी? रुई की पुतली ज्यादा दूध सोकेगी ।उसी प्रकार भगवान की वाणी को सुनते समय आप भी अपने आप को रुई की पुतली के समान बनाने का प्रयास करें। जिस प्रकार चाहे जैसी भी स्थिति हो देश का सैनिक कभी हड़ताल नहीं करता है उसी तरह आप भी वीतराग वाणी सुनने मे कभी हड़ताल में करें नियमित रूप से पूर्ण श्रद्धा के साथ अगर इसे सुनने का प्रयास रहा तो यत्र तत्र सर्वत्र आनंद ही आनंद होगा। धर्म सभा में श्री सोंख्यदर्शन जी महारासा ने भी श्रद्धालुओं को संबोधित किया। धर्म धर्म सभा का संचालन बलवीर पीपाड़ा ने किया

Comments

Popular posts from this blog

क़ुरैश कॉन्फ्रेंस रजिस्टर्ड क़ुरैश समाज भारत की अखिल भारतीय संस्था द्वारा जोधपुर में अतिरिक्त जिला कलेक्टर दीप्ति शर्मा को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौप कर सूरसागर में आये दिन होने वाले सम्प्रदायिक दंगों से हमेशा के लिये राहत दिलाने की मांग की गई है।

अजमेर जिला बार एसोसिएशन की नव निर्वाचित कार्यकारिणी ने किया पदभार ग्रहण

सीनियर सिटीजन यदि हर आधे घंटे में अपना स्थान बदलें और हाथ पैर चला लें तो ऑपरेशन की आवश्यकता ही नहीं रहेगी