घर को स्वर्गमय बनाने हेतु त्याग भावना व सहनशीलता आवश्यक --- गुरुदेव श्री सौम्य दर्शन मुनि
||PAYAM E RAJASTHAN NEWS|| 26-JULY-2023
|| अजमेर || गुरुदेव श्री सौम्यदर्शन मुनि जी महारासा ने फरमाया कि हर व्यक्ति को अपना घर प्यारा होता है । इंसान तो क्या पशु पक्षी भी अपने घर को पसंद करते हैं। छोटे से लेकर बड़े तक हर व्यक्ति जल्दी से काम निपटा कर घर पहुंचना चाहता है ।छोटा बच्चा स्कूल से छुट्टी होते ही घर की तरफ दौड़ लगाता है ।घर में काम करने वाली नौकरानी जल्दी-जल्दी काम निपटा कर अपने घर जाना चाहती है ।आदमी लोग शाम के समय में दुकान से मंगल करके सबसे पहले अपने घर पहुंचने का प्रयास करते हैं। कारण है कि घर में शांति और सकून मिलता है एक अलग ही आनंद की प्राप्ति होती है ।यदि शांति, सुकून और आनंद न मिले तो फिर वह घर नहीं केवल चूने, पत्थर और मिट्टी से बना मकान कहलाएगा। याद रखिए मकान को बनाया जाता है ,मगर घर को तो बसाया जाता है ।घर के वातावरण को स्वर्गमय और नरकमय बनाना, यह दोनों व्यक्ति के स्वयं के हाथों में है। जिस घर में त्याग का माहौल होता है वहीं घर स्वर्गमय बन सकता है ।इसके लिए घर के प्रत्येक सदस्य में त्याग की भावना होना अत्यंत आवश्यक होता है। घर का मुखिया अकेला कुछ नहीं कर सकता अगर आपको सबका सहयोग नहीं मिले ,जैसे डालियों के बिना वृक्ष की शोभा नहीं होती है उसी प्रकार घर में भी जब आपसी सहयोग बराबर रहता है तो वह घर भी शोभा पाता है मगर सहयोग अपने हितों का स्वार्थों का त्याग किए बगैर नहीं हो सकता है। इसके लिए अपने अभिमान क्रोध, लोभ, इर्ष्या का त्याग आवश्यक है।।
इसी के साथ घर के वातावरण को स्वर्गमय बनाने के लिए सहनशीलता भी परम आवश्यक है ।क्योंकि अगर घर में पांच बर्तन होते हैं तो उनकी भी आवाज आती है ।उसी प्रकार पांच व्यक्ति घर में रहते हैं और पांचों के विचारों की भिन्नता के कारण कुछ कहना और सुनना भी हो सकता है, कुछ कहने और सुनने की स्थिति में यदि सहनशीलता ना हो तो घर का वातावरण बिगड़ते देर नहीं लगेगी ।आपको घर में एकरूपता और प्रेम रखने के लिए सहनशीलता के गुण को कदम कदम पर स्वीकार करना पड़ेगा। क्योंकि केवल एक बार की सहनशीलता से काम नहीं चलेगा घर को नर्कमय स्थितियों से बचाकर अगर स्वर्गमय वातावरण की ओर ले जाना है तो आप को त्याग और सहनशीलता के रास्ते को अपनाना होगा अगर ऐसा प्रयास और पुरुषार्थ हो पाया तो सर्वत्र आनंद का वातावरण निर्मित हो सकेगा ।
धर्म सभा को पूज्य श्री विरागदर्शन जी महारासा ने भी संबोधित किया ।
धर्म सभा का संचालन नाबेड़ा ने किया।
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