जब भी नफ़रत का बीज बोया है, ख़ून बरसा है इन फ़ज़ाओं से-- ग़ज़ल शकूर अनवर

||PAYAM E RAJASTHAN NEWS|| 14-NOV-2022 || अजमेर || ग़ज़ल शकूर अनवर कुछ न होगा तेरी सदाओं* से। कोई लौटा नहीं ख़लाओं* से।। * और गुज़रोगे तुम ख़ताओं से। कुछ न पाओगे पेशवाओं* से।। * जब भी नफ़रत का बीज बोया है। ख़ून बरसा है इन फ़ज़ाओं से।। * हाय इस दौर की मसीहाई*। लोग मरने लगे दवाओं से।। * मिन्नते नाख़ुदा* न कर "अनवर"। ख़ुद को महफ़ूज़ रख हवाओं से।। * शकूर अनवर सदाओं*आवाज़ देना ख़लाओं* शून्य पेशवाओं*मार्ग दर्शक मसीहाई*चिकित्सा इलाज मिन्नते ना ख़ुदा*मल्लाह से प्रार्थना करना

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