बहन ने भाई की चिता को बांधी राखी:
||PAYAM E RAJASTHAN NEWS|| 23-AUG-2021
|| नागौर || रिपोर्ट हीरालाल नील----------------------------------------------------------------------------------------------------------- भाई-बहन के पवित्र त्योहार रक्षाबंधन पर नागौर में एक मन को झकझोर देने वाली मार्मिक तस्वीर सामने आई है। यह तस्वीर है हरसौर गांव की। इस गांव के चिरंजीलाल बीएसएफ में हैड कांस्टेबल थे जिनका इसी स्वतंत्रता दिवस पर दिल्ली में परेड में भाग लेने के बाद हृदयगति थमने से निधन हो गया था। चिरंजीलाल की राजकीय सम्मान से इसी 17 अगस्त को हरसौर में अंत्येष्टि की गई थी। भाई की चिता की आग अभी पूरी तरह से ठंडी भी नहीं हुई थी।
परंपरानुसार फूल चुनने के बाद यानी संस्कार के तीसरे दिन लकड़ी की टिमची (पतुली या त्रिपादुका) पर पानी से भरी एक मटकी रखी जाती है। इसमें से बूंद-बूंदकर पानी चिता की राख पर गिरता रहता है और यह प्रक्रिया बारहवें तक चलती है। अपने भाई को राखी बांधने के लिए बहन लक्ष्मी रक्षाबंधन के दिन सुबह अपनी भतीजी यानी चिरंजीलाल की बेटी सांची को साथ लेकर श्मशान पहुंची और वहां टिमची को राखी बांधी।
बहन लक्ष्मी का मन अभी भी नहीं मान रहा कि उसका भाई चिरंजी अब इस दुनिया में नहीं है। तभी तो रक्षाबंधन पर भाई की चिता पर रखी बांध दी। इस दौरान बहन के चेहरे पर दर्द व बेबसी दिख रही थी। बहन ने कहा, भाई देश के लिए शहीद हो चुके लेकिन गर्व है कि आज वह शहीद की बहन कहलाती है। भाई से जुड़ी यादें ताजा करके लक्ष्मी रो पड़ी। चिरंजीलाल तीन भाई थे, जिनमें से अब एक भाई बचा है। उल्लेखनीय है कि चिरंजीलाल छह बार गोल्ड मेडलिस्ट थे।
*शमशान में भाई की चिता पर विलाप करती बहन।*
बहन बोलीं-13 अगस्त को ही मिलकर गए थे भाई, जाते-जाते बेटियों की सुरक्षा का जिम्मा भी सौंप गए
बकौल लक्ष्मी वह मेरे से 6 साल बड़े थे। अंतिम बार भाई चिरंजी की कलई पर राखी 2017 में ही बांधी थी। पिछले साल तो राखी भेज भी नहीं पाई जिसका उलाहना भाई ने कई बार दिया था। इसी 13 अगस्त को तो वह मेरे घर जयपुर मुझसे मिलने आए थे। तब कहा था, पिछली बार तो राखी भेजी भी नहीं थी, इस बार राखी पर मैं हरसौर आऊंगा, आप भी आना और राखी जरूर बांधना।
साथ ही कहा, तुम्हारी बनाई भिंडी की सब्जी भी खाऊंगा। तब वह मुझे बातों ही बातों में कह गए, दोनों बेटियों का रिश्ता करना है, यह काम आपके जिम्मे है। कोई अच्छा घर-बार देखना। मुझे क्या पता था कि भाई ऐसा क्यों कह रहे हैं? मुझे याद है, 1997 में मेरी शादी में कन्यादान भी चिरंजी ने ही किया था।
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