विक्रम सिंह गाफिल द्वारा रचित कविता "कोरोना जी बड़े ढीट हो"
||PAYAM E RAJASTHAN NEWS|| 03-MAY-2020
*कोरोना जी बड़े ढीट हो*
कोरोना जी बड़े ढीट हो
हद कर दी आपने ।
लील गए हो लाखों जाने
डसा हो जैसे सांप ने ।
खूंखार बड़े दिखते हो भैया
मानव लगा है कांपने ।
कोई सिफारिश-रिश्वत ले लो
श्वास लगे क्यों नापने ।
सात्विक भोजन और स्वच्छता
खतरे भी है भांपने ।
सोशल डिस्टेंसिंग की दूरी
रखने लगे हैं मापने ।
लाॅक डाउन में कैद पड़े हैं
लगे हैं अब तो हांफने
वैक्सीन या इंजेक्शन के
ख्वाब लगे हैं टॉपने
विक्रम सिंह गाफिल
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