साहित्यकार व कवयित्री सुमन शर्मा द्वारा रचित कविता "वो मुझको आजमाता बहुत है"
||PAYAM E RAJASTHAN NEWS|| 17-APR-2020
|| अजमेर || साहित्यकार व कवयित्री सुमन शर्मा द्वारा रचित कविता "वो मुझको आजमाता बहुत है"
ये सच है कि वो मुझको चाहता बहुत है,
फिर भी वो मुझको आजमाता बहुत है।
उसका मेरा रिश्ता है सदियों पुराना,
वो इस राज को छुपाता बहुत है।मेरी हर खुशी में है उसकी दुआ,
फिर भी वो मुझको सताता बहुत है।
नजदीक है, साया है वो मेरा पर,
गर हो जाए दूर तो याद आता बहुत है।
वो है रसिया बहुत, है छलिया बहुत,
गैरों से बात करके मुझे जलाता बहुत है।
पास आता नहीं दूर जाता नहीं,
पर वह मुझे भरमाता बहुत है।
रूठ जाऊं कभी तो मनाता बहुत है,
मान जाऊं तो फिर खिलखिलाता बहुत है।
खुश हो कभी तो गुनगुनाता बहुत है,
रूठ जाए तो फिर कहर ढाता बहुत है।
रहता है बेचैन मिलने को हरदम,
जो मिल जाऊं तो नजरें चुराता बहुत है।
सुमन शर्मा
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