लॉक डाऊन में प्रथम अखिल भारतीय ऑनलाइन कवि सम्मेलन का हुआ आगाज़

||PAYAM E RAJASTHAN NEWS|| 27-APR-2020
|| अजमेर || लॉक डाऊन में प्रथम अखिल भारतीय ऑनलाइन कवि सम्मेलन का हुआ आगाज़



 माँ शकुन्तला देवी साहित्य एवं कला परिषद अजमेर के तत्वाधान में  जबकि पूरा भारतवर्ष  लॉक डाउन का दंश झेल रहा है। लोग अपने-अपने घरों में बंद होकर छटपटाहट महसूस करने लगे हैं ऐसे समय में कोरोना के भय से मुक्त होने और खुशनुमा माहौल बनाने के उद्देश्य से  मां शकुंतला देवी साहित्य एवं कला परिषद द्वारा अखिल भारतीय ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में सर्वप्रथम परंपरा अनुसार माँ शारदे को नमन करते हुए संस्था की सचिव प्रभा शर्मा द्वारा मधुर स्वर में सरस्वती वंदना कर शुभारंभ किया गया ।
      इस अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर उदयपुर की कवयित्री शकुंतला सरूप्रिया जी,  गाज़ियाबाद से  विशिष्ट अतिथि के रुप में ब्रहम प्रकाश वशिष्ट जी,  एवं गाज़ियाबाद के ही कवि  राजीव पान्डे जी अध्यक्ष के रूप में ऑनलाइन उपस्थित रहे । संस्था की सह-संरक्षिका अर्चना भटनागर जी ने संयोजिका के रूप में अपनी महती भूमिका निभाई ।
        कार्यक्रम में प्रत्येक कवि को उनकी रचना को पांच मिनट के रिकार्डेड ऑडियो के रूप में पटल पर रखने का प्रस्ताव आयोजक की तरफ से किया गया था जिसे प्रत्येक कवि ने अक्षरशः पालन करते हुए पूरा भी किया । 
        संस्था द्वारा आयोजित इस प्रथम अखिल भारतीय ऑनलाइन कवि सम्मेलन को संस्था के संस्थापक अध्यक्ष और संचालक  राजेश भटनागर ने बहुत प्रभावी ढंग से संचालन करते हुए शुरुआत से अंत तक सभी को बांधे रखा और अपनी सूफियाना सस्वर रचना से भी सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि शकुंतला ने गज़ल "क्या हुआ गुल भरे उजालों का ये चमन अपना क्यों नहीं लगता ।" , ब्रहम प्रकाश वशिष्ट  ने 'सौहार्द वाले गीत मैं गुनगुनाता हूँ', राजीव पान्डे  ने 'आओ कुछ ताज़ा करले' संयोजिका अर्चना भटनागर ने 'प्रकृति का संतुलन' , राजेश भटनागर ने सूफी गीत 'तेरी रहमतो से जाने क्यू मेरी झोली खाली खाली है', भरतपुर के गीतकार  गौरव कुमार ने 'एक पल को कभी', भीलवाड़ा के कवि कैलाश मण्डेला ने ' मेरी आत्मा के आवरण', चित्तौड़ के कवि रमेश शर्मा  ने ' जब तुम्हे आशा न होगी तब मिलूंगा',  शिखा शर्मा ने 'ख्वाबो की राख मे', सुमन शर्मा जी ने 'वक़्त की आंधियों में', और अलवर की कवयित्री सीमा विजयवर्गीय की तरन्नुम में गाई  ग़ज़ल ने समा बांध दिया। 
          दिल्ली की सरला मिश्रा जी, दिल्ली के ही मूर्घन्य साहित्यकार सुधीर सिंह, मेरठ की मशहूर कवयित्री शुभम त्यागी जी, फर्रुखाबाद के शायर तस्दीक अहमद जी , मध्यप्रदेश सेंधवा के कवि और शायर सादिक अली जी, उदयपुर के कवि श्याम मठपाल जी, अजमेर के साहित्यकार देवदत्त शर्मा जी, गंगाधर शर्मा जी, गुजरात भावनगर की भावना  सांवलिया जी, अजमेर की प्रभा शर्मा जी , जगदीप कौर जी, आगरा के कवि चंद्रवीर सोलंकी जी, अमरावती महाराष्ट्र की सीमा डोंगरे जी, दिल्ली केशव सिंह जी, सोजत के शायर जनाब  रशीद गौरी जी, दादरी के कवि योगेश वर्मा जी तथा  मनोज गर्ग जी  ने बहुत ही प्रभावी काव्य पाठ कर मन मोह लिया ।
     
         कुल मिलाकर लॉक डाउन के इस गंभीर और उबाऊ माहौल में  यह काव्य सम्मेलन शत प्रतिशत अपने मकसद में कामयाब रहा।
राजेश कुमार भटनागर
संस्थापक अध्यक्ष


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